अब देखना है की जीत किसकी होती है। खड़से की या मेरे सच की - डायनेमिक अंजली दमानिया - Magaine New Theme

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Thursday, 7 September 2017

अब देखना है की जीत किसकी होती है। खड़से की या मेरे सच की - डायनेमिक अंजली दमानिया


अजय शर्मा ( मुंबई )

मुंबई के एक पुलिस थाणे वाकोला में प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता अंजली दमानिया ने कल बुधवार शाम से ही अपने कार्यकर्ताओं के साथ इस पुलिस थाणे में अनिश्चित कालीन अनशन पर बैठी है। सारा मामला जलगाँव के विधायक एकनाथ खड़से से सम्बंधित है। उन्होंने दमानिया के विरुद अपशब्द बोले हैं। इसी विषय को लेकर खड़से के विरुद्ध आरोप लगाते हुए मामला दर्ज करने के लिए सरकार पर दबाव बनाकर सरकार की नींद हराम कर दी है। दमानिया ने,  
              एक तरफ जहाँ सरकारें महिला सशक्तिकरण की बात का ढोल बजाकर ठोस दावे प्रस्तुत करती है। अपने सरकार में महिला को रक्षा मंत्री बनाकर महिलाओं के आत्मविश्वास को मज़बूत करती है। वहीँ नेता मंत्री महिला की इज़्ज़त न करते हुए उनके विरुद्ध अपशब्द बोल देते हैं। देश भर में महिलाओं के साथ घटती कई घटना उदाहरण है। इस वक़्त की इस बड़ी खबर ने महाराष्ट्रा की राजनीति में भूचाल लाकर खड़ा कर दिया है। जिससे नेता मंत्रियों के दिल की धड़कनें तेज़ हो गयी हैं। महाराष्ट्रा विधान सभा में अपनी एक अलग सी पहचान बनाने वाले महाराष्ट्रा जलगाँव से विधायक एकनाथ खड़से एक बार फिर से आरोपों के घेरे में दिखते नज़र आ रहे हैं। मंत्री पद पर रहते हुए पहले भी उनपर एक गंभीर आरोप लगने की वजह से उनका मंत्रालय छीन गया था। लेकिन इस बार उनका सामना आप की पूर्व नेता व प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता अंजली दमानिया से हो रहा है। दमानिया ने आज़ाद खबर और हिंदमाता मिरर के पत्रकार को वाकोला पुलिस थाणे में पूरी जानकारी देते हुए आरोपित तथ्य को बताया की इस सारे राजनितिक मामले का कारण उनके द्वारा फाइल किया एक पिटीशन जो खड़से के विरुद्ध है। जिसकी एक कॉपी खड़से के पास है। इस मामले को लेकर २ अगस्त को खड़से ने अपने जन्म दिन पर दमानिया के विरुद्ध अपशब्द बोले इसकी जानकारी मिलते ही बात कुछ साफ़ नहीं हुयी है। खड़से बोलने लगे की उन्होंने कुछ नहीं बोला है। इस पुरे मामले में पुलिस पूरी तरह से खामोश दिखी पुलिस उपायुक्त अनिल कुम्भारे ने भी इस मामले में कोई जवाब नहीं दिया है। पूरी इस खबर की जानकारी के लिए जब खड़से से संपर्क साधा गया तब उनका सेल ऑफ़ बताया। खड़से के विरुद्ध आरोप लगाते हुए उनके विरुद्ध मामला दर्ज हो इस बात को लेकर दमानिया अड़ चुकी हैं। और अनशन तब तक समाप्त नहीं होगा जब तक खड़से के विरुद्ध वाकोला पुलिस एफ आई आर दर्ज नहीं कर लेती है। अनशन २४ घंटे से ऊपर का वक़्त बीत गया है। दमानिया का कहना है। की जीत खड़से के गंद की होती है। या फिर मेरे सच की, जब तक उसके विरुद्ध मामला दर्ज नहीं होगा हम सभी यहाँ से हिलने वाले नहीं सरकार को झुकना होगा। खबर लिखे जाने तक कोई निर्णय नहीं लिया गया सरकार की तरफ से। वाकोला पुलिस थाणे में मीटिंग जारी है।          

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